India Pakistan Dialogue Standoff: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif India talks) ने एक बार फिर भारत के साथ सभी लंबित मुद्दों पर बातचीत (Pakistan India Peace Talks) की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ बातचीत में कहा कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर, आतंकवाद, जल और व्यापार जैसे मुद्दों (India Pakistan tensions) पर सार्थक वार्ता चाहता है। भारत ने शरीफ के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना सीमा पार आतंकवाद की निंदा की। राजनाथसिंह और ख्वाजा आसिफ ने मंच साझा किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल दो मुद्दों तक सीमित है -पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की वापसी और आतंकवाद को जड़ से खत्म करना।
प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को दोहराते हुए कहा, "आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते, आतंक और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते, पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।"
22 अप्रैल के आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इसका मकसद पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्रों में आतंकी ठिकानों को खत्म करना था। इसके बाद 10 मई तक चार दिन तक सैन्य झड़पें चलीं।
पाकिस्तान की ओर से 10 मई को शांति प्रस्ताव सामने आया, जिसके बाद सैन्य झड़पें रुकीं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ ने सऊदी अरब के सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया।
यह पहली बार नहीं है जब शरीफ ने भारत से बातचीत की इच्छा जताई है। इससे पहले ईरान और अजरबैजान की यात्रा के दौरान भी उन्होंने कश्मीर, आतंकवाद और व्यापार से जुड़े विवादों को हल करने की बात कही थी।
शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस के बीच पश्चिम एशिया के हालात पर भी चर्चा हुई। शरीफ ने ईरान-इज़राइल संघर्ष को खत्म करने के लिए बातचीत और कूटनीति को जरूरी बताया और अपने देश का समर्थन व्यक्त किया।
भारत सरकार ने प्रधानमंत्री शरीफ के प्रस्ताव को लेकर कोई नरमी नहीं दिखाई है। विदेश मंत्रालय ने सख्ती से दोहराया कि आतंकवाद के माहौल में कोई बातचीत नहीं होगी। सोशल मीडिया पर भी यूज़र्स का रुख यही दिखा - “बातचीत तभी संभव है जब पाकिस्तान आतंकवाद को छोड़ दे।” राजनीतिक विश्लेषकों का भी कहना है कि शरीफ का यह बयान अंतरराष्ट्रीय दबाव को संतुलित करने का प्रयास है, न कि गंभीर कूटनीतिक पहल।
भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' की पृष्ठभूमि में आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान अपने आतंकी नेटवर्क पर क्या कार्रवाई करता है। इसके साथ ही, सिंधु जल संधि पर भारत का अगला कदम और WTO या OIC जैसे मंचों पर पाकिस्तान की चालें भी आगामी फॉलोअप की दिशा तय करेंगी।
बहरहाल शरीफ की यह कूटनीतिक अपील ऐसे वक्त में आई है जब पाकिस्तान आर्थिक संकट और पश्चिम एशिया के उथल-पुथल भरे हालात से जूझ रहा है। पाकिस्तान के लिए सऊदी अरब और चीन की दोस्ती अहम है -ऐसे में भारत के साथ स्थायी टकराव उसकी विदेशी नीति को मुश्किल में डाल सकता है।
Published on:
26 Jun 2025 05:28 pm