Iran attack on US base in Syria: ईरान ने सीरिया में तैनात अमेरिकी सैन्य बेस पर हमला किया है। इसका प्रमुख स्रोत चीन आधारित सीजीटीएन और रूस की आरटी समेत कई महानगर मीडिया की रिपोर्टों पर आधारित है।
Iran attack on US base in Syria: ईरान और अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने सोमवार को सीरिया में स्थित एक अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हमला (Iran attack US base) किया है। यह हमला उस समय हुआ जब अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर बमबारी की थी। हालांकि, अब तक अमेरिकी अधिकारियों की तरफ़ से इस हमले की पुष्टि नहीं हुई है। ईरानी मीडिया का दावा है कि यह हमला अमेरिका की "आक्रामक कार्रवाई" का जवाब है। अब तक इस कथित हमले में किसी के घायल होने या हताहत होने की सूचना नहीं मिली है।
ईरानी मीडिया का दावा है कि ईरान-समर्थित बलों ने सटीक ड्रोन या मिसाइल हमले किए, जिनका लक्ष्य सीरियाई इलाके में स्थित एक अमेरिकी सेना का ठिकाना था। ईरान इस हमले को इस्राइल द्वारा उनके परमाणु ठिकानों और सीरिया में ईरान समर्थित बलों पर हमले के जवाब में बता रहा है।
यह हमला उस समय हुआ है, जब इजराइल–हम्मास, इस्राइल–ईरान तथा संयुक्त राज्य–ईरान के बीच तनाव चरम सीमा पर पहुँच रहा है। ईरान का यह हमला एक मिश्रित संदेश है जो बताता है कि वह पक्षगत हमलों का जवाब दे सकता है—चाहे अमेरिकी ठिकानों पर ही क्यों न हो, यह संकेत है उसे भी आत्मरक्षा और सामरिक आधार तैयार करने का अधिकार है। अभी तक सबसे मजबूत पुष्टि भारतीय मीडिया से नहीं, बल्कि ईरानी मीडिया और सोशल मीडिया पर हुई है, अमेरिका की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। यह हमला क्षेत्रीय तनाव को और तेज करने वाला हो सकता है।
इस घटना से एक दिन पहले, अमेरिका ने ईरान के तीन बड़े परमाणु स्थलों — फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान — पर एयरस्ट्राइक की। अमेरिका ने इसे एक "बहुत सफल सैन्य ऑपरेशन" बताया। इस हमले का उद्देश्य ईरान की परमाणु गतिविधियों को रोकना था।
सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में अमेरिका और ईरान के बीच तीखी बहस हुई। ईरान के स्थायी प्रतिनिधि आमिर सईद इरावानी ने अमेरिका के हमलों को "घोर अपराध" बताया और इज़राइल पर आरोप लगाया कि वह अमेरिका को इस युद्ध में घसीट रहा है। उन्होंने कहा,"अमेरिका ने कूटनीति की राह छोड़ दी है। अब ईरान की सेनाएं तय करेंगी कि जवाब कब, कैसे और कितना दिया जाएगा।"
इज़राइल ने 13 जून को "ऑपरेशन राइजिंग लायन" चलाकर ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला किया था। इसी हमले की प्रतिक्रिया में ईरान ने कहा था कि वह अमेरिका और इज़राइल दोनों को जवाब देगा। नतांज़ और फोर्डो जैसे ठिकानों पर पहले ही इज़राइल के छोटे हथियारों से हमले हो चुके थे। इस्फ़हान के पास स्थित स्थल को हथियार-ग्रेड यूरेनियम का बड़ा भंडार माना जाता है।
ईरान, अमेरिका और इज़राइल के बीच बढ़ता तनाव अब सीधे युद्ध की ओर बढ़ता हुआ दिख रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि स्थिति काबू में नहीं आई, तो यह पूरा पश्चिम एशिया एक बड़े सैन्य संघर्ष की चपेट में आ सकता है।
ईरान इस दौरान क्षेत्रीय प्रतिक्रिया की रणनीति के तहत अमेरिका के ठिकानों पर हमला कर रहा है, जिससे वह जवाबी कार्रवाई का संदेश विश्व स्तर पर देना चाहता है। अमेरिका भी उन्हें “आत्मरक्षा” के रूप में गंभीरता से प्रतिक्रिया देने का विकल्प चुन सकता है, जैसा कि पिछले हमले के बाद किया गया था । अगर यह टकराव बढ़ा, तो इससे मध्य-पूर्व में युद्ध की व्यापक स्थिति और वैश्विक तेल कीमतें प्रभावित होंगी।